Sunday, January 17, 2010

इन दिनों

लाल सलाम को आखिरी सलाम
साल २०१० की शुरुआत हुए अभी महज १८ दिन ही हुए हैं लेकिन इतने दिनों में बहुत कुछ ऐसा रहा जो कई दिनों तक चर्चा में रहेगा । सबसे पहले बात करते हैं एक दुखद खबर से । वयोवृद्ध मार्क्सादी नेता ज्योति बासु का ९६ साल की उम्र में देहांत हो गया । पश्चिम बंगाल की राजनीति पर एकछत्र राज करने वाले श्री बासु की कुशल प्रसासनिक क्षमता के विपक्षी भी कायल थे । कामरेड बासु का यूँ चला जाना भारतीय राजनीति के लिए जितना हानिकारक है उतना ही दर्दनाक उस आम समाज के लिए भी है जिसके लिए बासु ने जिंदगी भर संघर्ष किया । श्री बासु ने कभी भी अपने सिधान्तो से कोई समझौता नहीं किया । आम आदमी के सभी वर्गों में उनकी मजबूत पकड़ और कुशल नेतृत्व क्षमता के बूते ही बासु १९७७ में पहली बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने और निर्बाध रूप से २३ साल तक पश्चिम बंगाल पर राज किया ।स्वाधीनता के पहले से ही भारत में वामपंथ की अलख जगाने वाले महान पुरोधा ज्योति बासु आम आदमी को ही परिवर्तन का सिपाही मानते थे । श्री बासु का यूँ चले जाना जहाँ इन दिनों की सबसे बड़ी क्षति है वहीँ ढलते वामपंथ के लिए भी मंथन करने की चेतावनी है। आजीवन वामपंथ के सशरे अपने सिधान्तों पर जीने वाले और आम आदमी को बड़ी ताकत देने वाले महान राजनीतिज्ञ कामरेड बासु को आखिरी सलाम।
टूट गया अमर प्रेम
समाजवादी पार्टी में नए साल का जश्न उस वक्त फीका पड़ गया जब सपा के मजबूत सिपाही अमर सिंह ने अपने सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया । पिछले कुछ वक़्त से अमर सिंह का पार्टी के कुछ नेताओं खासकर मुलायम सिंह के भाई रामगोपाल यादव से मनमुटाव चल रहा था । फिरोजाबाद उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद से ही अमर -मुलायम के रिश्तों में खटास आने लगी थी जब अमर सिंह ने एक निजी चैनल से बातचीत में हार का जिम्मेदार पार्टी के वरिष्ट नेताओं और मुलायम परिवार के अति आत्मविश्वास को ठहराया था । उसके बाद से ही रामगोपाल ने अमर को हद में रहने की सलाह दे दी थी । हालांकि अमर ने कहा की वो इस्तीफा केवल स्वास्थय कारणों से दे रहे हैं लेकिन इस पार्टी में बड़ते परिवारवाद को ही इसका कारण माना जाता है । मुलायम ने भी अमर के सभी पदों से इस्तीफे स्वीकार तो कर लिए हैं लेकिन अमर के जाने से पार्टी में बगावत का माहोल हो गया है । पार्टी के महासचिव संजात दत्त, भी अलग होने का मन बना चुके हैं वहीँ एक्टर मनोज तिवारी भी पार्टी छोड़ने का संकेत दे रहे हैं। यही नहीं सपा के कई विधायक भी अमर के साथ खड़े दीखते हैं। मुलायम- अमर का प्रेम टूटने से सपा टूटने के कगार पर kहादी हो गयी
hocky में हाहाकार
पिछले दिनों भारतीय hockyमें जो बवाल खड़ा हुआ वो न सिर्फ इस खेल के लिए घातक है बल्कि करोड़ों हौकी प्रेमियों के साथ ही देश के सम्मान के लिए भी किसी तरह से अच्छा नहीं है। पहले स्तादियम के निर्माण में हो रही अनावश्यक देरी के चलते चार देशों का टूर्नामेंट रद्द हुआ और अब खिलाडियों और हौकी इंडिया के बीच की तकरार ने विश्वकप की तैयारिओं पर पानी फेर दिया है । खिलाडियों की मांग थी की उन्हें चल्लेंगेर ट्राफी का बकापैसा भुगतान नहीं किया गया है तो हौकी इंडिया इस बात की दुहाई देता रहा की उसके पास खिलाडियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं। कितने शर्म की बात है की जो खिलाड़ी अपनी जीजान जुटाकर देश के लिए खेलते हैं उन्हें उनका मेहनताना भी नहीं मिल रहा है। हालांकि लाबी बातचीत और मतभेदों के चलते बकाया पैसे का मुद्दा तो हल कर लिया गया है लेकिन अब हौकी इंडिया के अध्यक्ष मातू के इस्तीफे ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
गौरतलब है की विश्वकप सुरु होने में महज कुछ ही दिन बचे हुए हैं तो ऐसे हालात में हौकी के अन्दर मची उठापठक खिलाडियों के मनोबल को कितना गिरा देगी यह सोचने वाली बात है । और अगर ऐसे हालातों में हम खिलाडियों से कप जीतने की उम्मीद करें तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा । बहरहाल हौच्क्य को इस दलदल से निकालने के लिए कई संघटन , राज्य सरकारें और यहाँ तक की क्रिक्केटर भी सामने आये है जो की एक अच्छा संकेत है । फिलहाल हमारी तो यही दुआ है की खिलाड़ी सारे विवादों को पीछे छोड़ कर देश के लिए कप जीत लें ताकि देश का रास्ट्रीय खेल हौच्क्य एक बार फिर पटरी पर लौट सके और हम फिर से कह सकें चक दे इंडिया।

3 comments:

  1. Jyoti Basuka nidhan zaroor is poore deshke liye sadma hai..
    Bog jagat me aapka swagat hai!

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  2. नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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